
परिचय
प्रायः धान की रोपाई के उपयुक्त समय पर श्रमिकों की समुचित उपलब्धता एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। इसके साथ ही ऊँचे दर पर श्रमिक मिलने पर धान की खेती की लागत बढ़ जाती है। इस परिस्थिति में किसान लेव किये गये खेत में धान की छिटकवा विधि से सीधी बुआई करने लगे हैं। परन्तु देखा जा रहा है कि धान की इस तरह छिटकवा विधि से बुआई करने पर खेत में जमे हुए धान के पौधों में समानता नहीं होती साथ ही पौधों की कम संख्या जमती है, जिससे धान की अपेक्षित उपज प्राप्त नहीं हो पाती। ये समस्याएं लेव किये गये खेत में धान की ड्रम सीडर से सीधे बुआई करके दूर की जा सकती है। धान की ड्रम सीडर से सीधी बुआई करते समय खेत के समतलीकरण, मिट्टी की सेटिंग एवं खेत में जल स्तर पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
अतः काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि प्रक्षेत्र पर अखिल भारतीय समन्वित चावल सुधार परियोजना (ए.आई.सी.आर.आई.पी.) के अन्तर्गत ड्रम सीडर द्वारा लेव किये खेत में धान की सीधी बुआई तकनीक पर किये गये शोध परीक्षण के परिणाम के आधार पर निम्न संस्तुति की जाती है।
बोने का समय
ड्रम सीडर द्वारा अंकुरित धान की सीधी बुआई मानसून प्रारम्भ होने के एक सप्ताह पूर्व ही अर्थात जून के प्रथम सप्ताह तक पूरी कर लेनी चाहिए जिससे मानसून प्रारम्भ होने से पाले ही धान अच्छी तरह अंकुरित होकर खेत में स्थापित हो जाय क्योंकि एक बार मानसून प्रारम्भ हो जाने पर खेत में लगातार आवश्यकता से अधिक जल-जमाव होने भूर धान का समुचित जमाव नहीं हो पाता।
खेत का समतलीकरण एवं जल निकास की व्यवस्था
खेत में लेव लगाते समय पाटा से खेत का समतलीकरण अच्छी तरह करें क्योंकि ऊँचा-नीचा खेत होने पर धान के बीज का जमाव एक समान नहीं हो पाता। खेत से जल निकास की व्यवस्था भी सुनिश्चित कर लें क्योंकि धान जम जाने के बाद भी अधिक वर्षा होने पर वर्षा जल का पौधों के ऊपर तक जमाव अधिक समय तक होने पर पौधों के मरने की संभावना हो जाती है।
खेत में जल स्तर
ड्रम सीडर द्वारा धान की बुवाई के समय खेत में2-2.5 इंच से अधिक जल स्तर न हो, इतना जल हो जिससे ड्रम सीडर आसानी से खेत में चल सके। जल स्तर अधिक होने पर खेत की मिट्टी तक ड्रम सीडर द्वारा बने हुए कुंड में बीज पहुँच नहीं पाता, बीज जल में ही रह जाता है और ड्रम सीडर द्वारा कतार में बनाये गये कुंड में बुवाई नहीं हो पाती।
लेव लगाते के बाद ड्रम सीडर से बोने का समय
शोध परीक्षण में पाया गया है कि लेव लगाने के 5-6 घंटे के अन्दर ही ड्रम सीडर द्वारा धान की सीधी बुआई कर देनी चाहिए। इससे अधिक विलम्ब होने पर धान की खेत की मिट्टी कड़ी होने लगती है और धान के पौधों की प्रारम्भिक बढ़वार धीमी होने के कारण उपज में गिरावट होने लगती है।
बीज दर
ड्रम सीडर द्वारा सीधी बुआई करने के लिए 50-55 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेअर की आवश्यकता होती है।
प्रजातियों का चुनाव
शीघ्र पकने वाली प्रजातियों में नरेन्द्र-97, मालवीय धान-2 (एच.यू.आर-3022) एवं मध्यम देर से पकने वाली प्रजातियों में नरेन्द्र-359, सूरज-52 आदि धान की प्रजातियां ड्रम सीडर से बुआई के लिए उपयुक्त है।
उर्वरकों का संतुलित प्रयोग एवं विधि
उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करें। मृदा परीक्षण न हो पाने की स्थिति में उर्वरकों का प्रयोग निम्न प्रकार किया जाय। शीघ्र पकने वाली प्रजातियों के लिए नत्रजन 80-90 किग्रा. प्रति हेक्टेअर, फास्फोरस 30-40 किग्रा. प्रति हेक्टेअर, पोटाश 30-40 किग्रा.प्रति हेक्टेअर की दर से तत्व के रूप में दें। मध्यम अवधि की अधिक उपज देने वाली प्रजातियों के लिए नत्रजन 100-120 किग्रा. प्रति हेक्टेअर, फास्फोरस 50-60 किग्रा. प्रति हेक्टेअर, पोटाश 50-60 किग्रा प्रति हेक्टेअर की दर से तत्व के रूप में है। नत्रजन की एक चौथाई भाग एवं फास्फोरस एवं पोटाश की पूर्ण मात्रा बुआई के समय, तथा शेष नत्रजन का दो चौथाई भाग कल्ले निकलते समय तथा शेष एक चौथाई भाग बाली बनने की प्रारम्भिक अवस्था पर प्रयोग करें।
खर-पतवार प्रबन्धन-यांत्रिक विधि
ड्रम सीडर द्वारा धान की सीधी बुआई की दशा में खर-पतवार प्रबन्धन पर विशेष ध्यान देना होगा। कतार में बुआर्इ होने के कारण श्रमिकों द्वारा खुर्पी से निराई सुगमता से हो सकती है। प्रथम निराई बुआई के 20 दिन बाद, दूसरी निराई 40 दिन के बाद करें।
रासायनिक विधि
इस स्थिति में प्रेटिलाक्लोर 30 प्रतिशत ई.सी. 1.25 लीटर प्रति हे. की दर से बुआई के 2-3 दिन के अन्दर या बिसपाइरीबैक सोडियम 10 प्रतिशत एस.सी. 0.25 लीटर बुआई के 15-20 दिन के बाद प्रति हे. की दर से नमी की स्थिति में लगभग 500 लीटर प्रति हे. की दर से पानी में घोलकर फ्रलेट पैन नाजिल से छिड़काव करें।
जल प्रबन्धन
सामान्य धान की रोपाई या सीधी बुआई वाली संस्तुती के अनुसार ही करें।
धान की ड्रम सीडर से बुआई में आर्थिक बचत
ड्रम सीडर से धान की एक हे. खेत की बुआई केवल 2 श्रमिकों द्वारा 4-5 दिनों में हो जाती है अर्थात् धान की एक हे. की बुआई 8-10 श्रमिकों की मजदूरी की लागत में होती है जबकि धान के एक हे. खेत की रोपाई में 40-45 श्रमिकों की मजदूरी की लागत आती है। इस प्रकार ड्रम सीडर से बुआई करने पर धान की रोपाई की तुलना में 30-35 श्रमिकों की मजदूरी की बचत हो सकती है जो लगभग रू.6-7 हजार प्रति हे. होगी। इसके साथ ही ड्रम सीडर से बुआई करने पर धान की नर्सरी पर होने वाले व्यय जो लगभग रू. 2 हजार से 2.5 हजार प्रति हे. आती है, की भी बचत होती है।
धान की ड्रम सीडर से बुआई करने से लाभ
- ड्रम सीडर से बुआई करने पर जल और श्रमिक पर होने वाले व्यय में बचत होती है।
- सीधी बुआई करने पर धान के फसल की अवधि 7-10 दिन कम हो जाती है जिससे रबी में गेहूँ की बुआई समय से हो सकती है।
- सीधी बुआई करने पर धान के फसल की अवधि 7-10 दिन कम हो जाती है जिससे रबी में गेहूँ की बुआई समय से हो सकती है।
- कम वर्षा या सूखे की स्थिति से नर्सरी जब बोने की स्थिति न बन पाये तो ड्रम सीडर से किसान भाई सीधे बुआई करके धान की फसल लेने का प्रयास कर सकते हैं।
- ड्रम सीडर से धान की बुआई कतार में होने के कारण खर-पतवार नियन्त्रण में आसानी होती है।
https://sonucsc.com/2022/12/09/paddy-crop-%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%ab%e0%a4%b8%e0%a4%b2-%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%a6/